गंगा-जमुना के बीच बसे सहारनपुर की विधानसभा सीट नंबर तीन शहर अहम है। बसपा ने कास्ट केमेस्ट्री को आधार बनाकर कई बार प्रत्याशी उतारे, लेकिन आजादी के बाद से 17 बार हुए चुनाव में बसपा प्रत्याशी कभी खाता नहीं खोल पाया है।
सहारनपुर शहर विधानसभा सीट पर जनता ने भाजपा, कांग्रेस, सपा को कई बार विजयी बनाया, लेकिन आजादी के बाद से अब तक 17 बार हुए चुनाव में बसपा कभी खाता नहीं खोल पाई है, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी भी शहर सीट से जीते हैं, मगर बसपा हमेशा पीछे रही है। बसपा के लिए शहर सीट जीतना हमेशा चुनौती ही रहा है।
गंगा-जमुना के बीच बसे सहारनपुर की विधानसभा सीट नंबर तीन शहर अहम है। वुडकार्विंग के लिए मशहूर सहारनपुर की जनता ने हिंदू-मुस्लिम प्रत्याशियों को कई बार विधायक बनाकर विधानसभा भेजा। कांग्रेस, सपा, भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशी भी जीते, लेकिन बसपा प्रत्याशी के लिए इस सीट पर हमेशा चुनावी सफर कठिन रहा।
बसपा ने कास्ट केमेस्ट्री को आधार बनाकर कई बार प्रत्याशी उतारे, लेकिन आजादी के बाद से 17 बार हुए चुनाव में बसपा प्रत्याशी कभी खाता नहीं खोल पाया है। हमेशा चुनाव यह सीट बसपा के लिए चुनौती रही है, जबकि भाजपा के लिए यह सीट ए श्रेणी में शामिल है। क्योंकि, कई बार भाजपा और उनसे जुड़े दल के प्रत्याशी ने रिकार्ड जीत दर्ज की है। वहीं, सपा और कांग्रेस को भी जनता ने मौका दिया दिया है। शहर सीट पर पहली बार चुनाव 1957 में हुआ था।