बॉलीवुड: 26 सितंबर को देवानंद का जन्म हुआ, बताएँगे उनकी लव स्टोरी के बारे में।
रिपोर्ट फराह अंसारी
बॉलीवुड: यूं तो 50-60 के दशक में हिंदी फिल्मों में राज कपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद का डंका बजता था। दिलीप गंभीर रोल करने वाले ट्रैजेडी किंग थे, तो चार्ली चैपलिन बड़े दिल का छोटा आदमी जैसे किरदार राज कपूर के नाम थे। मगर रोमांस, स्टाइल और दिलकश पर्सनैलिटी के लिए जो नाम सिर्फ और सिर्फ अकेला उभरा वो था देवानंद। देव आनंद के लाखों दीवाने थे। देव आनंद की एक एक एक अदा पर आहें भरती थी हसीनाएं, देव आनंद ख़ुद भी कई हसीनाओं के आशिक रहे मगर सबसे लंबी आशिक़ी उन्होंने निभाई अपनी जिन्दगी से। 26 सितंबर को देव साहब का जन्म हुआ था और उनके जन्मदिन के मौक़े पर आज हम आपको बता रहे हैं उनकी लव स्टोरी के बारे में जिसका जिक्र उस जमाने में हर गली, हर चौक पर होता था। सुर्खियों में रही इस लव स्टोरी की कशक ऐसी है कि आज भी अगर कोई देवानंद का नाम लेता है तो खुद-ब-खुद सुरैया का नाम आ जाता है।
देवानंद और सुरैया की लव स्टोरी की शुरूआत 1948 में हुई थी। सुरैया फिल्मों में अपने गीत खुद ही गाती थीं। देवानंद अभी नए-नए आए थे। उन्हें ‘विद्या’ के लिए साइन किया गया जिसमें सुरैया उनकी हीरोइन थीं। यहीं दोनों की पहली मुलाकात हुई थी। पहले ही दिन दोनों के बीच रोमांटिक सीन फिल्माया जाना था। शूटिंग के दौरान देवानंद सुरैया के इतने कायल थे कि उन्होंने सोचा कि काश उस सीन के दौरान कोई उनकी एक तस्वीर क्लिक कर ले।पहली नज़र में ही दोनों को प्यार हो गया था। इस फिल्म का एक सीन नदी में फिल्माया जाना था। शूटिंग के दौरान नाव पलट गई और सुरैया पानी में गिर गईं। इसके बाद देवानंद ने उन्हें बचाया। यही वो पल था जब दोनों को बेपनाह मोहब्बत हो गई।
देवानंद जब भी सुरैया के घर जाते तो उनके दोस्त सुरैया की नानी को बातों में उलझा लेते और ये लव बर्ड छत पर जाकर क्वालिटी टाइम एक दूसरे के साथ बिताता। 1949 में आई फिल्म ‘जीत’ में शादी का सीन फिल्माया जाना था यहां पर दोनों ने सोचा कि वो सीन मे असली पंडित को बुलाएंगे और शादी कर लेंगे। ये खबर सुरैया की नानी तक पहुंच गई और वो जबरदस्ती सुरैया को घर ले गईं। दोनों के धर्म अलग होने की वजह से सुरैया की नानी इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं हुईं और दोनों को अलग होना पड़ा। इसके बाद सुरैया ने कभी शादी नहीं की और देव की यादों में ही खोई रहीं।